तुम से ही - जब we met
ना खोना ही है
तेरा न होना जाने क्यों
होना ही है
तुमसे ही दिन होता है
सुरमई शाम आती है
तुमसे ही, तुमसे ही
(Repeat *)
आखों में आखें तेरी
बाहों में बाहें तेरी
मेरा न मुझमें कुछ रहा
हुआ क्या
बातों में बातें तेरी
रातें सौगातें तेरी
क्यों तेरा सब ये हो गया
हुआ क्या
मैं कहीं भी जाता हूँ
तुमसे ही मिल जाता हूँ
तुमसे ही, तुमसे ही
शोर में खामोशी है
थोडी सी बेहोशी है
तुमसे ही, तुमसे ही
आधा सा वादा कभी
आधे से ज्यादा कभी
जी चाहे कर लूँ इस तरह
वफ़ा का
छोडे न छूटे कभी
तोडे न टूटे कभी
जो धागा तुमसे जुड़ गया
वफ़ा का
मैं तेरा सरमाया हूँ
जो भी मैं बन पाया हूँ
तुमसे ही, तुमसे ही
रासते मिल जाते हैं
मंजिलें मिल जाती हैं
तुमसे ही, तुमसे ही
(Repeat *)